8TH SEMESTER ! भाग- 79( A Lip of Heart-2)
"थैंक्स फॉर दा सजेशन, लेकिन मुझे मेरा ही आइडिया ज़्यादा पसंद है...कुछ जुगाड़ जमा दो..."उसकी तरफ देखते हुए मैने कहा"और हां लड़की मस्त गोरी - चिट्टी विदेशी हो तो और भी ज़्यादा सुकून से नींद आएगी "
"अरमान अब बस भी करो, i have to say something..."
"मैं सुन रहा हूँ..."
निशा ने अगले ही पल कार सड़क के साइड मे रोक दी और फिर मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर बोली"मैने आज तक तुम्हारे सिवा किसी और के साथ सेक्स नही किया है...मैने तुम्हे आज तक मेरे जितने भी बाय्फरेंड्स के नेम और अड्रेस बताए सब फेक थे..."
"कककया... क्या... सच..?? मतलब WTF"
उस एक पल जब निशा ने अपने दिल कि बात मेरे साथ कि तो मेरा यही reaction था... मुझे उस एक पल समझ नहीं आया कि मै खुश होयुं या दुखी..?? ये मेरे लिए एक शॉकिंग न्यूज़ थी, मेरे लिए निशा की इस बात पर यकीन करना की उसने आज तक मेरे सिवा और किसी के साथ बिस्तर गरम नही किया है ,ये बात मुझे कुछ हजम नही हो रही थी...उसने मुझे ये दिल को झकझोर कर रख देने वाली बात अभी क्यूँ बताई...?? ये तो मैं जानता था,लेकिन सबसे बड़ा सवाल फिर उसने पहले मुझसे झूठ क्यूँ बोला.. क्यूंकि यदि ये सच है तो वो झूठ था.. और यदि ये झूठ है तो पहले वाला सच था....
मैं इस वक़्त ऐसे हैरान था जैसे कि किसी प्रसिद्ध हीरोइन ने अपना nude मुझे दे दिया हो 🙄.. जैसे मैने कोई बहुत बड़ा आश्चर्या देख लिया हो
"मैं जानती हूँ कि तुम्हे यकीन नही हो रहा है.."
"नही... ऐसी कोई बात नही है, निशा.... मुझे यकीन हो रहा है... मुझे पक्का यकीन है "
"फिर खुश क्यूँ नही हो रहे हो..."
"मैं खुश तो हूँ, मैं बहुत ज़्यादा खुश हूँ...."
"तुम्हारी शकल देख कर तो ऐसा नही लग रहा..."
"क्या सच मे..."साइड मिरर को अपनी तरफ करके मैने उसमे अपना चेहरा देखा"ऐसा तो कुछ भी नही है... मेरा चेहरा खुश तो दिख रहा है.. वो क्या है कि मै अब mature हो गया हूँ, इसलिए अपनी ख़ुशी और गम चेहरे से शो ऑफ नहीं करता...."
उसके बाद निशा कुछ नही बोली,उसने कार स्टार्ट की और वापस सड़क पर दौड़ा दी....लेकिन मैं अब भी खुद को मिरर मे देख रहा था. निशा एकदम सही थी... मुझे उसकी बात पर बिल्कुल भी यकीन नही हो रहा था और उसी वक़्त जैसे उसने मेरे अंदर की उलझन को समझ लिया हो वो बोली
"तुम बिलीव नही कर रहे हो कि मैं आज तक सिर्फ़ तुम्हारे साथ...."
"नही..बिल्कुल नही, मुझे पूरा यकीन है...देखो मैं कितना खुश हूँ..."झूठ बोलते हुए मैने मुस्कुरा दिया...
हमेशा फिलॉसोफी झाड़ने वाला मैं आज अपनी ही फिलॉसोफी नही समझ पा रहा था , मुझे देखकर उस वक़्त कोई भी कह सकता था कि मैं इस वक़्त किसी कन्फ्यूषन मे हूँ और कुछ सोच रहा हूँ....लेकिन उस पूरे वक़्त मैं जबरदस्ती मुस्कुराने की एक्टिंग करता रहा,ताकि निशा को भनक ना लग जाए कि मैं उसपर शक़ कर रहा हूँ....
मैं पूरे रास्ते भर यही कोशिश करता रहा कि निशा को इस बात का अहसास ना हो जाए कि मुझे उसकी बात पर यकीन नही है,मैं ऐसे रिएक्ट करता जैसे मैं बहुत खुश हूँ...थोड़ी देर बाद निशा ने कार एक शॉपिंग मॉल के सामने रोकी...
"अरमान, ये झूठा बर्ताव करना बंद करो...मैं जानती हूँ कि तुम्हे मेरी बात पर भरोसा नही है..."
"ऐसा बिल्कुल भी नही है..."मैने एक बार फिर अपनी मुस्कुराहट का झूठा लिबास ओढ़ते हुए कहा"बाइ दा वे ,तुम मुझे इस मॉल मे क्यूँ लाई हो...कही मूवी दिखाने का प्लान तो नही है..."
"घुमाने लाई हूँ तुम्हे ,दिन भर इंडस्ट्री मे तो रहते हो..."अपने बालों को मिरर मे देखकर संवारते हुए निशा बोली"बाइ दा वे ,तुमने अभी तक बताया नही मैं कैसी दिख रही है..."
"एक दम झक्कास..."बोलते हुए मैने उसकी तरफ सिर्फ़ अपने हाथ ही बढ़ाए थे कि वो डर कर तुरंत कार से बाहर निकल गयी..
"ड्राइवर कार पार्क करके आओ..."
"मैं ड्राइवर...??"
"नही तो क्या मैं हूँ ड्राइवर...??"
"जैसी आपकी आग्या मालकिन जी..."
मैने कार पार्क किया और निशा के साथ मॉल के अंदर आया....उसके बाद तो जैसे मुझपर कयामत ही आ गयी, वो जहाँ भी कुछ खरीदने जाती वहाँ आधे से एक घंटा उसको टाइम लगता... कभी कहती की ये हल्का लाल है तो कभी ज्यादा लाल.. ऐसे कर करके वो एक चीज खरीदने मे एक घंटा लगा ले ले रही थी और उस पूरे टाइम मे मैं जमहाई लेता हुआ वहा से आने जाने वाले को देखता रहता....
"निशा, पूरे 2 घंटे हो गये है...लेकिन अभी तक तुझे कुछ पसंद नही आया क्या "
"मेरी बेस्ट फ्रेंड का बर्थडे है तो उसको कुछ अलग ही देना पड़ेगा ना और मेहनत तो मैं कर रही हूँ इससे तुमको क्या परेशानी है..."
"मुझे लगा , तुम अपनी शादी के लिए शॉपिंग कर रही हो पर यहाँ तो पूरा मामला ही उल्टा निकला"तंज कस्ते हुए मैने कहा
"शादी के लिए शॉपिंग की क्या ज़रूरत, वेड्डिंग ड्रेस है तो मेरे पास..."
"लेकिन उस दिन जब तुम्हारे अंदर भूत सवार हुआ था तब तो तुमने बरसात मे भीगकार उस वेडिंग ड्रेस का सत्यानाश कर दिया था..."
"वो तो एक ड्रेस थी ना... मेरे पास और भी है ."
"एक से ज्यादा वेडिंग ड्रेस..?? कितने शादी करने का विचार है, मैम .."
"वो तो पहन पहन कर देखूंगी.. फिर किसी एक को फाइनल करुँगी... ओके .."
" मेरे सामने ड्रेस बदलना 😜 मजा आएगा... "लार टपकाते हुए मैने निशा को गंदे इशारे किये
"ओके..."
"और बाकी शॉपिंग बाद मे कर लेना ,मेरा सर घूम रहा है...अभी फिलहाल वापस चलते है..."
लेकिन वो नही मानी उसने आधे घंटे तक मुझे और उस माल मे बेमतलब का घुमाया... घुमाया तो घुमाया... कम से कम डोसा -वोसा तो खिला देती... वैसे भी कॉलेज लाइफ मे मॉल का आइटम महंगे रहने के कारण आज तक मॉल मे दोसा नहीं खाया है अपुन. खैर, जब हम दोनो वापस कार मे आए तो मैने अपनी आँखे बंद की और अपने सर को सहलाते हुए सारी चीज़ो को एक-एक करके समझने की कोशिश करने लगा......
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"निशा "नेम तो हिंदू है लेकिन ये खुद को क्रिस्चियन बता रही है, नो प्राब्लम
लेकिन फिर इसने कहा कि आज तक सिर्फ ये मेरे साथ बिस्तर गरम कि है...?? जबकि इसका बर्ताव तो ऐसा था की ना जाने कितनो का ले चुकी है ये....?? ये सच है.. या वो सच था...??? साला, पूरे दिमाग़ का डोसा बनाकर खा गयी है
"निशा ,अपना पूरा नेम बताना तो एक बार..."आँख खोलते ही मैने पहला सवाल यही पुछा...
"निशा देसाई ...क्या तुम्हे अब भी मुझपर यकीन नहीं.. Arman.."
"नही और मुझे कोई फरक भी नही पड़ता...लेकिन फिर एक सवाल है कि..."
"तुम्हे मुझपर यकीन नहीं ..."
"ऐसा नहीं है...मैं तो बस जनरल नालेज के लिए क्वेस्चन पुछ रहा था ,तुम कार चलाओ..."बोलकर मैने अपनी आँखे बंद कर ली
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